Which type of crime can be settled with permission of court? in Hindi || न्यायालय की अनुमति से होने वाले समझौते - Target Judiciary

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Monday, 17 December 2018

Which type of crime can be settled with permission of court? in Hindi || न्यायालय की अनुमति से होने वाले समझौते


Which type of crime can be settled with permission of court?

Which type of crime can be settled with permission of court?

Which type of crime can be settled with permission of court?



न्यायालय की अनुमति से होने वाले समझौते 

1. इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 312

किसी महिला का गर्भपात कराना: इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 312 के अंतर्गत किसी महिला का उसकी मर्जी के खिलाफ गर्भपात नहीं कराया जा सकता है, ऐसा करना दंडनीय अपराध है. यदि कोई पति/ सगा सम्बन्धी ऐसा करने का प्रयास करता है और पीड़ित महिला पुलिस में FIR करा देती है तो फिर इस मामले में कोर्ट की सहमती से ही दोनों पक्ष समझौता कर सकते हैं. ध्यान रहे कि ऐसे मामले में सिर्फ वही महिला समझौता कर सकती है जिसका गर्भपात कराने का प्रयास किया गया है या करा दिया गया है.


2. इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 494

दूसरी शादी करना: यदि कोई व्यक्ति/महिला अपनी जीवित पत्नी या पति के रहते किसी और स्त्री/ पुरुष से शादी करते है तो इस तरह का कृत्य इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 494 के अंतर्गत अपराध है. इस मामले में कोर्ट की सहमती से पूर्व पत्नी/पूर्व पत्नि ही समझौता कर सकते हैं. इसमें ये तीन लोग एक साथ रह सकते हैं इसका प्रावधान भी कानून में है.


3. इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 509

किसी महिला पर कमेंट करना/सीटी बजाना या कोई गलत इशारा करना: ये सभी काम जिनसे किसी महिला की मर्यादा को चोट पहुँचती है या महिला को कोई ऐसी चीज दिखाना जिससे कि उसकी मर्यादा भंग होती है तो इस तरह के काम इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 509 के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आते हैं. ऐसे मामलों में सिर्फ वह महिला ही कोर्ट की सहमती से समझौता कर सकती है जिसके साथ यह घटना घटी होती है.


4. इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 343

किसी को दिन पर बंधक बनाकर रखना: यदि कोई व्यक्ति किसी को उसकी इच्छा के बिना 3 दिनों तक बंधक बनाकर रखता है तो पीड़ित व्यक्ति इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 343 के अंतर्गत मामला दर्ज करा सकता है. यदि समझौता होता है तो कोर्ट की सहमती से सिर्फ पीड़ित व्यक्ति ही कर सकता है.

5. IPC के धारा 428

दस रुपये या ऊपर के मूल्य के जानवर को मरना या अपंग करना: यह अपराध पढ़ने में थोडा अजीब लग रहा है लेकिन यह सच है कि यदि कोई व्यक्ति किसी दस रुपये या ऊपर के मूल्य के जानवर को मारता या अपंग करता है तो IPC के धारा 428 के तहत उसे सजा होगी और समझौता कोर्ट की सहमती से जानवर के मालिक द्वारा ही किया जा सकता है.

6. IPC के सेक्शन 424

धोखाधड़ी से किसी संपत्ति को छुपाना या हड़पना: यदि कोई व्यक्ति धोखाधड़ी से किसी की संपत्ति को चुराता या हड़पता है तो ऐसा करना IPC के सेक्शन 424 के तहत अपराध है लेकिन यदि प्रभावित व्यक्ति इस मामले में समझौता करना चाहे तो कोर्ट को बताकर ऐसा कर सकता है.

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  • Is always essential to tender in evidence the F.I.R. ? : The answer is yes. It is the elementary duty of the Investigator and, the prosecution to tender in evidence the copy of the FIR Ouseph (1957 Cr. L. J. 1132) Kerala. When examining an informant, if the FIR is not tendered, the accused are denied the opportunity of cross examination on the FIR 1972 Cr. L. 451 (S.C.) Damodar Prasad and cannot be relied upon.


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