Which type of crime can be settled outside court? || Police or Advocate - Target Judiciary

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Friday, 14 December 2018

Which type of crime can be settled outside court? || Police or Advocate


Which type of crime can be settled outside court? || Police or Advocate
Which type of crime can be settled outside court? || Police or Advocate



Which type of crime can be settled outside court? || Police or Advocate



1. 
चोरी का मामला: इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 379 के इसके बारे में प्रावधान है. इसमें वह व्यक्ति समझौता कर सकता है जिसका सामान या कुछ अन्य चीज चोरी हुई है. इस मामले में पुलिस की मध्यस्थता में दोनों पक्षों के बीच समझौता होता है.
2. किसी को चोट पहुँचाना: इसके बारे में इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 323 में प्रावधान है. ऐसे मामले में वह व्यक्ति ही समझौता कर सकता है जिसको चोट पहुंचाई गयी है या जो पीड़ित है. अर्थात अपराध का आरोपी समझौता करने की पहल शुरू नहीं कर सकता है.
3. धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाना: इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 379 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है. अगर कोई व्यक्ति किसी की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर चोट पहुंचाता है तो आहत होने वाला व्यक्ति आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा सकता है. लेकिन पुलिस इस मामले में न्यायालय की अनुमति के बिना समझौता कर सकती है.


4. किसी को गलत तरीके से बंधक बनाना: इस अपराध को IPC के सेक्शन 341, 342 में अपराध माना गया है. हालाँकि इसमें जिस व्यक्ति को बंधक बनाया गया है वह चाहे तो कोर्ट के बाहर समझौता कर सकता है.
5. विवाहित महिला को बंधक बनाना या भगा ले जाना: यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को बहला फुसलाकर भगा ले जाता है या अपराध करने के उद्येश्य के बंधक बनाता है तो यह IPC की धारा 498 के तहत अपराध है.इस मामले में बंधक महिला के पति को आरोपी के साथ समझौता करने का अधिकार है.
6. अनधिकार गृहप्रवेश: यदि किसी व्यक्ति के घर में कोई व्यक्ति या अपराधी बिना आज्ञा के घुसता है तो यह काम IPC के सेक्शन 448 के तहत अपराध है. एक दंडनीय अपराध है और जिस व्यक्ति के घर में घुसने का प्रयास किया गया है वह इसके खिलाफ रिपोर्ट कर सकता है. हालाँकि पुलिस की मध्यस्थता में कोर्ट के बाहर भी इस ममाले में समझौता किया जा सकता है. (सोर्स जागरण )
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